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लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी के पहले की तैयारी

लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी के पहले की तैयारी

सर्जरी के पहले लिवर रोगी के शरीर की सारी जाँच की जाती है। इसमें किड्नी, फुफ़्फ़स (lungs) और दिल (heart) की जाँच शामिल होती है। अगर इन जाँचों में कुछ ख़राबी निकलती है तो पहले उसे दवाइयों से ठीक किया जाता है, उसके बाद ही लिवर प्रत्यारोपण का काम आगे बढ़ता है।

टेस्ट और अन्य मूल्याँकन करने के बाद, अगर मरीज़ के परिवार में कोई डोनर नहीं है, तो मरीज़ को ब्रेन-डेड डोनर से मिलने वाले लिवर की प्रतीक्षा सूची (वेटिंग लिस्ट) में रखा जाता है। इसके लिए मरीज़ को कुछ फ़ॉर्म भरने होंगे। ये प्रतीक्षा सूची ब्लड ग्रूप के अनुसार बनायी जाती है और एक सरकारी एजेन्सी (ज़ोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर / ZTCC) इस सूची को समन्वित करती है। एक ब्लड ग्रूप की प्रतीक्षा सूची में पूरे शहर, ज़िल्हा, प्रदेश या देश के किसी भी कोने के मरीज़ हो सकते हैं। किसी भी ब्रेन-डेड डोनर की पुष्टि होने के बाद प्रतीक्षा सूची के अनुसार ही मरीज़ को लिवर आवंटित होगा; मतलब, जो पेशंट प्रतीक्षा सूची में पहले नम्बर पर है उसे पहले लिवर मिलेगा।

जब मरीज़ को ये सूचित किया जाएगा कि किसी ब्रेन-डेड डोनर का लिवर उपलब्ध है तो मरीज़ को अगले ६-८ घंटे में हॉस्पिटल आना होगा और भर्ती होना पड़ेगा। इसके लिए ये बहुत ज़रूरी है की मरीज़ और उसके परिवार के निकटतम सदस्यों के मोबाइल नम्बर हमारे ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के पास दर्ज हों। ब्रेन-डेड डोनर से लिवर किसी भी दिन या रात में उपलब्ध हो सकता है इसलिए मरीज़ और उसके परिवार को हमेशा तैयार रहना चाहिए। अगर आप नागपुर के बाहर किसी दूसरे शहर में रहते हैं तो अपने शहर से नागपुर जल्दी से जल्दी आने के लिए परिवहन के साधन देख कर के रखें। लिवर मिलने के लिए किसी पेशंट को कम और किसी को ज़्यादा समय इंतज़ार करना पड़ सकता है और इस समय के ऊपर ट्रांसप्लांट टीम का कोई नियंत्रण नहीं है ।

जब तक मरीज़ को उपयुक्त लिवर नहीं मिल जाता तब तक मरीज़ लिवर प्रत्यारोपण टीम के साथ फ़ॉलोअप में रहता है। अगर मरीज़ की स्तिथि बिगड़ती हुई दिखती है तो परिवार के किसी सदस्य को लिवर डोनेशन (लाइव लिवर डोनेशन) करने के लिए कहा जाएगा। लिवर पेशंट की तबियत कभी भी बिगड़ कर सीरीयस हो सकती है, इसलिए सिरोसिस का निदान होने के बाद जितनी जल्दी ट्रांसप्लांट कर लिया जाए, पेशंट के लिए उतना ही अच्छा रहता है।

लिवर प्रत्यारोपण के लिए इंतज़ार करते समय ध्यान देने योग्य बातें

ट्रांसप्लांट के लिए इंतज़ार करते समय मरीज़ को नियमित रूप से ख़ून की जाँचे करना, ट्रांसप्लांट टीम के साथ नियमित फ़ॉलोअप रखना और बताई हुई दवाइयाँ लेना आवश्यक है। निम्न बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है :

  • अपनी और अपने आस-पास की जगह को साफ़-सुथरा रखें।
  • जितना भी सम्भव हो हल्का व्यायाम करें, टहलें और सक्रिय बने रहें, इससे इन्फ़ेक्शन होने की सम्भावना कम हो जाती है।
  • अगर आप थकान का अनुभव करते हैं तो समय-समय पर आराम करते रहना चाहिए।
  • ट्रांसप्लांट ऑपरेशन के पहले सभी मरीज़ों को लाइव टीके (वैक्सिनेशन) लगवाना अनिवार्य है ।
  • आपकी ट्रांसप्लांट टीम द्वारा जो भी दवाइयाँ आपको दी गयी हैं उनके अलावा किसी भी अन्य तरह की होमीओपैथिक, आयुर्वेदिक दवाइयाँ या विटामीन ना लें ।
  • आपको अपने खाने में नमक की मात्रा को सीमित करना बेहद ज़रूरी है। सिरोसिस के मरीज़ों को दिन भर में १-२ ग्राम से ज़्यादा नमक नहीं खाना चाहिए।
  • दिन भर में तरल पेय (जैसे चाय, कॉफ़ी, जूस, पानी) एक से डेढ़ लीटर से ज़्यादा नहीं लेना है।
  • अगर मरीज़ को अपने भोजन में से समुचित पोषण नहीं मिल पा रहा है, तो वह अतिरिक्त विटामिन और प्रोटीन पाउडर ले सकता है। इसके लिए अपनी ट्रांसप्लांट डाइटीशीयन से सम्पर्क करें।
  • मरीज़ के स्वास्थ्य में अचानक से कोई भी परिवर्तन आने पर (जैसे ख़ून की उलटी, काला मल, ज़्यादा नींद, व्यवहार में परिवर्तन, वज़न बढ़ना, हाथ पैरों में सूजन, पेट में अचानक से दर्द, बुखार, उलटी या दस्त) अपनी ट्रांसप्लांट टीम से तुरंत सम्पर्क करें।
  • लिवर के लिए प्रतीक्षा सूची में इंतज़ार करते समय शराब का सेवन करना मना है । अगर ट्रांसप्लांट टीम को आपके शराब या किसी अन्य प्रकार के ड्रग्स लेने का संदेह है तो आपके ब्लड ऐवम पेशाब की जाँच की जाएगी और पॉज़िटिव आने पर आपका नाम वेटिंग लिस्ट पर से हटा दिया जाएगा।
  • ट्रांसप्लांट के ऑपरेशन के पहले सिगरेट, बीड़ी और तम्बाकू छोड़ना ज़रूरी है। इससे ऑपरेशन के बाद छाती के इन्फ़ेक्शन नहीं होते हैं और वेंटिलेटर से जल्दी निकलने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • मरीज़ लिवर के लिए इंतज़ार करते समय अपना काम चालू रख सकते हैं और काम के लिए रेल्वे या प्लेन का सफ़र कर सकते हैं। लेकिन मरीज़ जिनके शरीर में platelet कम हैं, INR ज़्यादा है, जिनको बार-बार ख़ून की उलटी या गफ़लत होती है उनका अकेले सफ़र करना जानलेवा हो सकता है। मरीज़ को अपनी ट्रांसप्लांट टीम के डॉक्टरों के फ़ोन नम्बर हमेशा अपने पास रखना चाहिए ताकि आकस्मिक स्थिति पड़ने पर उनसे सम्पर्क किया जा सके।