लिवर प्रत्यारोपण
लिवर प्रत्यारोपण के बारे में
सिरोसिस के गंभीर मामलों में जब लिवर काम करना बंद करता है तो लिवर प्रत्यारोपण (Liver transplantation) की जरूरत होती है। लिवर प्रत्यारोपण में एक ख़राब हो चुके लिवर को निकाल के उसके स्थान पर नए लिवर को लगाया जाता है। दुनिया भर में सरोसिस के मरीज़ों की जान बचाने के लिए यही एकमात्र उपाय है।
लिवर प्रत्यारोपण की ज़रूरत कब पड़ती है ?
लिवर प्रत्यारोपण अधिकांश तौर पर लिवर सिरोसिस (Chronic liver disease) के मामलों में ही होता है । सरोसिस के मरीज़ों को लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता है या नहीं, ये जानने के लिए Child-Pugh-Turcotte (CTP) score और Model for End stage Liver Disease (MELD) score तथा बच्चों में PELD score का उपयोग करते हैं । जिन मरीज़ों की बीमारी अभी शुरुआती चरण में ही है और जिनमें बीमारी के कोई ख़ास लक्षण नहीं दिखायी पड़ रहे हैं, उनका MELD स्कोर कम होगा और उन्हें लिवर प्रत्यारोपण की ज़रूरत नहीं है। जिन मरीज़ों की बीमारी आगे की स्टेज तक पहुँच गयी है उनमें सिरोसिस के सारे लक्षण दिखायी देते हैं और उनका CTP और MELD स्कोर काफ़ी ज़्यादा होता है – ऐसे मरीज़ो को लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।
जिन मरीज़ों को लिवर कैन्सर है और उनका लिवर सिरॉटिक नहीं है उनके लिए भी लिवर प्रत्यारोपण ही सबसे अच्छा इलाज है ।
लगभग १० प्रतिशत मामलों में तीव्र लिवर फ़ेल्यर (Acute or Fulminant liver failure) की स्तिथि में भी लिवर प्रत्यारोपण की ज़रूरत पड़ सकती है । इसके लिए kings college criteria का प्रयोग किया जाता है।
कुछ मरीज़ों में लिवर सिरोसिस होने के बावजूद उन्हें लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता नहीं होगी और कुछ मरीज़ इतने ज़्यादा बीमार होंगे की ये ऑपरेशन सहन ही नहीं कर पाएँगे। किस मरीज़ को लिवर प्रत्यारोपण से फ़ायदा होगा और किसे नहीं – ये फ़ैसला लिवर के विशेषज्ञ ट्रांसप्लांट सर्जन ही कर सकते हैं। किसी भी मरीज़ को लिवर प्रत्यारोपण की सलाह तभी दी जाएगी जब डॉक्टर इस बात से संतुष्ट हों की ये ऑपरेशन करने से मरीज़ को फ़ायदा ज़्यादा और नुक़सान कम होगा।