ब्रेन – डैड / मेंदु- मृत लिवर डोनेशन
जब किसी व्यक्ति का मस्तिष्क इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाता है की पूरी तरह से और स्थाई रूप से काम करना बंद कर देता है, तब उस स्तिथि को ब्रेन- डेथ कहते हैं । ऐसा सिर पर गम्भीर चोट लगने से या मस्तिष्क में रक्तस्राव (हेमरेज), संक्रमण या ट्यूमर होने के परिणाम स्वरूप हो सकता है। ऐसा व्यक्ति मर चुका है और उसकी हालात में अब कोई सुधार नहीं होगा। चूँकि यह व्यक्ति वेंटिलेटर से कनेक्टेड है इसलिए कुछ समय तक उसका दिल धड़कता रहेगा।
ब्रेन-डेथ की पुष्टि हो जाने के बाद उस व्यक्ति की चिकित्सा टीम उसके परिवार वालों से बात करेगी । यदि मृतक का परिवार अव्यवदान का समर्थन करता है तो तुरंत ही आगे की कार्यवाही शुरू की जाएगी। ब्रेन डेड डोनर से मिले हुए विभिन्न अव्यवों जैसे लिवर, किड्नी, पैनक्रियास, दिल, फुफ़्फ़ुस आदि को उस अंग की ब्लड ग्रूप के आधार पर बनी हुई प्रतीक्षा सूची में पहले नम्बर के रोगी को दिया जाता है। भारतीय क़ानून ब्रेन-डैड डोनर और रेसिपीयंट (प्राप्तकर्ता) परिवारों के बीच आपसी पहचान वाली जानकारी को साझा किए जाने की इजाज़त नहीं देता है।
अव्यवदान का ऑपरेशन उसी सावधानी के साथ किया जाएगा जैसे कि किसी अन्य ऑपरेशन को किया जाता है । अव्यवों को निकालने के लिए एक सर्जिकल चीरा लगाया जाएगा और ऑपरेशन हो जाने के बाद उस चीरे को टाँके लगा कर बंद कर दिया जाएगा। किन अव्यवों को निकालना है इस आधार पर ऑपरेशन को पूरा होने में ३-४ घंटे लग सकते हैं। पूरे ऑपरेशन के दौरान डोनर के शरीर को हमेशा सम्मान और गरिमा प्रदान की जाती है। अव्यवदान अंत्येष्टि की व्यवस्थाओं को प्रभावित नहीं करता है और अव्यव दान करने से मृतक के शरीर में कोई विकृति नहीं आती है। संसार के अधिकांश प्रमुख धर्म अव्यवदान का समर्थन करते हैं।
ब्रेन डेड डोनर से एक पूरा लिवर, दो किड्नी, एक पैंक्रीयास, एक दिल, दो फुफ़्फ़ुस और चमड़ी मिल सकती है। आमतौर पर एक वयस्क रोगी में पूरा लिवर प्रत्यारोपित किया जाता है हालाँकि कभी-कभी इस लिवर को दो हिस्सों में विभाजित करके एक वयस्क और एक बच्चे में लगाया जा सकता है। ये फ़ैसला ट्रांसप्लांट सर्जन और टीम के द्वारा लिया जाता है और लिवर प्रतीक्षा सूची में लगे रोगियों की बीमारी की गम्भीरता पर निर्भर करता है।
ब्रेन-डेड डोनर से मिले हुए लिवर को सही रोगी को आवंटित करने का काम भारत सरकार द्वारा नियुक्त की गयी एक एजेन्सी (ज़ोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर / ZTCC) करती है। एक ब्लड ग्रूप की प्रतीक्षा सूची में पूरे शहर, ज़िल्हा, प्रदेश या देश के किसी भी कोने के मरीज़ हो सकते हैं। किसी भी ब्रेन-डेड डोनर की पुष्टि होने के बाद प्रतीक्षा सूची के अनुसार ही मरीज़ को लिवर आवंटित होगा; मतलब, जो पेशंट प्रतीक्षा सूची में पहले नम्बर पर है उसे पहले लिवर मिलेगा।
जब मरीज़ को ये सूचित किया जाएगा कि किसी ब्रेन-डेड डोनर का लिवर उपलब्ध है तो मरीज़ को अगले ६-८ घंटे में हॉस्पिटल आना होगा और भर्ती होना पड़ेगा। इसके लिए ये बहुत ज़रूरी है की मरीज़ और उसके परिवार के निकटतम सदस्यों के मोबाइल नम्बर हमारे ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के पास दर्ज हों। ब्रेन-डेड डोनर से लिवर किसी भी दिन या रात में उपलब्ध हो सकता है इसलिए मरीज़ और उसके परिवार को हमेशा तैयार रहना चाहिए। अगर आप नागपुर के बाहर किसी दूसरे शहर में रहते हैं तो अपने शहर से नागपुर जल्दी से जल्दी आने के लिए परिवहन के साधन देख कर के रखें। लिवर मिलने के लिए किसी पेशंट को कम और किसी को ज़्यादा समय इंतज़ार करना पड़ सकता है और इस समय के ऊपर ट्रांसप्लांट टीम का कोई नियंत्रण नहीं है ।