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बच्चों में लिवर प्रत्यारोपण

हमारी टीम बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। बच्चों में ख़ून ले जाने वाली नसें (Hepatic artery/ Portal vein) और पित्त वसिका (बाइल डक्ट) ज़्यादा बारीक और छोटी होती हैं इसलिए नए लिवर का प्रत्यारोपण तकनीकी तौर पर ज़्यादा मुश्किल है। हमारी टीम के तीन सीन्यर लिवर प्रत्यारोपण शल्यचिकित्सकों का बच्चों में लिवर सर्जरी करने का १० सालों से ज़्यादा का अनुभव है। उनकी मदद करने के लिए उनके साथ बच्चों के विशेषज्ञ हिपेटोलोजिस्ट (Pediatric hepatologist), बच्चों में सुंघनी के विशेषज्ञ डॉक्टर (Pediatric anaesthetist), सर्जरी के बाद बच्चों की देखभाल करने के लिए विशेष आइ सी यू (Pediatric ICU) और विशेषज्ञ डॉक्टर (Pediatric intensivist), प्रक्षिशित नर्सें, फिजीयोथेरेपिस्ट और आहार विशेषज्ञ शामिल हैं।

बच्चों में लिवर प्रत्यारोपण की ज़रूरत कब पड़ती है ?

बच्चों में लिवर ख़राब होने और लिवर प्रत्यारोपण का प्रमुख कारण पित्त अविवरता (Biliary atresia) है।

इसके अलावा बच्चों में लिवर ख़राब होने के अन्य कारण हैं :

  • विल्सन डिजीस
  • अल्फ़ा – वन – ऐंटीट्रिपसिन की कमी
  • टाइरोसिनिमीया
  • लिपिड स्टोरेज डिसॉर्डर ( गौचर रोग, नीमन- पिक रोग, कोलेस्टेरोल एस्टर भंडारण रोग )
  • कार्बोहाईड्रेट स्टॉरेज डिसॉर्डर (गैलेक्टोसयूरिया, ग्लाइकोजेन भंडारण रोग)
  • बच्चों का लिवर कैन्सर (हिपेटोब्लास्टोमा)
  • सिस्टिक फ़ायब्रोसिस

बच्चों के लिए ब्रेन डैड लिवर डोनेशन

टेस्ट और अन्य मूल्याँकन करने के बाद, अगर रोगी बच्चे के परिवार में कोई डोनर नहीं है, तो उस को ब्रेन-डेड डोनर से मिलने वाले लिवर की प्रतीक्षा सूची (वेटिंग लिस्ट) में रखा जाता है। इसके लिए कुछ फ़ॉर्म भरने होंगे। ये प्रतीक्षा सूची ब्लड ग्रूप के अनुसार बनायी जाती है और एक सरकारी एजेन्सी (ज़ोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर / ZTCC) इस सूची को समन्वित करती है। ज़्यादातर ब्रेन-डैड डोनर वयस्क आदमी या औरत होते हैं। बच्चों को शरीर ऐवम वज़न के अनुसार पूरे वयस्क लिवर की ज़रूरत नहीं होती बल्कि उनके लिए उसका २०-३० प्रतिशत भाग ही पर्याप्त होता है। इसलिए उपयुक्त ब्रेन-डैड डोनर मिलने पर डोनर लिवर को दो हिस्से में विभाजित किया जाता है (Split liver donation) । उसका दायाँ भाग (Right lobe) जो कि पूरे लिवर का ६०-७० प्रतिशत होता है, उसको किसी वयस्क रोगी में लगाया जाएगा और बायाँ भाग (lateral lobe/ left lateral lobe) जो कि २०-३० प्रतिशत होता है, उसे रोगी बच्चे में लगाया जाएगा। अगर ब्रेन-डैड डोनर कोई बच्चा है तो उसका सम्पूर्ण लिवर निकाल के रोगी बच्चे में लगाया जाएगा।

बच्चों के लिए जीवित लिवर डोनेशन

बच्चों के शरीर ऐवम वज़न के अनुसार उनको पूरे लिवर की ज़रूरत नहीं होती और उनके लिए लिवर का छोटा टुकड़ा ही पर्याप्त होता है। आमतौर पर लिवर का बायाँ भाग (left lobe/ left lateral lobe जो की पूरे लिवर का २०-३० प्रतिशत हिस्सा होता है) इस काम में आता है। इसके लिए परिवार का कोई भी नज़दीकी सदस्य (माता, पिता, नाना-नानी, दादा-दादी, मामा, चाचा) डोनर हो सकते हैं। डोनर का चुनाव सिर्फ़ ब्लड ग्रूप मैचिंग के आधार पर होता है। एक नॉर्मल लिवर में पुनर्जीवित होने की क्षमता होती है। डोनर के लिवर का टुकड़ा निकालने और रेसिपीयंट बच्चे में प्रत्यारोपित करने के १२ घंटों के भीतर ही लिवर पुनरुत्थान की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। डोनर और रोगी दोनों के ही लिवर के हिस्से अगले ६-८ हफ़्तों में ज़रूरत अनुसार ९०-१०० प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं।

बच्चों में लिवर प्रत्यारोपण की सफलता और परिणाम

लगभग सभी बच्चे ट्रांसप्लांट के बाद सामान्य और स्वस्थ ज़िंदगी जीते हैं। सर्जरी के बाद ज़्यादातर बच्चे ३ महीने में स्कूल जाना शुरू कर देते हैं और ६ महीने में सारे खेल खेलने लग जाते हैं। लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी का कुल सफलता दर बच्चों में १ साल पूरा होने पर ९०-९५ प्रतिशत और १० साल पूरा होने पर ८५ प्रतिशत से ज़्यादा है।