तीव्र लिवर फ़ेल्यर
तीव्र लिवर फ़ेल्यर (Fulminant liver failure) कुछ ही हफ़्तों या दिनों में लिवर को नुक़सान पहुँचाने वाली बीमारी है। ये अचानक और बिना किसी पूर्व चेतावनी या लक्षणों के हो सकता है। तीव्र लिवर फ़ेल्यर की शुरुआत मरीज़ में अचानक से आए पीलेपन से होती है। इसके बाद मरीज़ की तबियत ख़राब होती चली जाती है और वो कुछ ही समय में भूलक्कड़, भ्रमित और सुस्त हो कर कोमा में चला जाता है।
तीव्र लिवर फ़ेल्यर के प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं :
- वाइरल हिपेटाईटिस (हिपेटाईटिस A / E और कभी कभार B)
- कुछ दवाइयाँ जैसे ऐसेटामिनॉफ़ेन, टी बी की दवाइयाँ, आयुर्वेदिक दवाइयों का दुष्परिणाम
- कुछ महिलाओं में ये गर्भावस्था में भी देखने को मिलता है (Acute fatty liver of pregnancy)
- विल्सन डिज़ीज़
तीव्र लिवर फ़ेल्यर का उपचार :
चूँकि इस बीमारी के मरीज़ों की तबियत बहुत ही जल्दी ख़राब हो जाती है इसलिए जितनी जल्दी हो सके उनका इलाज शुरू कर देना चाहिए। इन मरीज़ों को ऐसे अस्पताल में भर्ती करवाना चाहिए जहाँ लिवर के विशेषज्ञ डॉक्टर ( सर्जन और हिपेटोलोजिस्ट ) उपलब्ध हों।
तीव्र लिवर फ़ेल्यर के ज़्यादातर मरीज़ दवाइयों से ठीक हो जाते हैं लेकिन एक-तिहाई मरीज़ों में ये बीमारी प्रगतिशील होती है और उन्हें त्वरित ( इमर्जन्सी ) लिवर प्रत्यारोपण की ज़रूरत पड़ सकती है।
तीव्र लिवर फ़ेल्यर में लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता है या नहीं ये पता लगाने के लिए दुनिया भर में King’ College Criteria का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ सूचक इस प्रकार से हैं :
- पीलेपन की तीव्रता ( १२ mg/dl से ज़्यादा )
- ख़ून के जमने में दिक़्क़त आना ( PT ५० सेकंड से ज़्यादा )
- मरीज़ की दिमाग़ी हालत बिगड़ना या उसका कोमा में चले जाना
- जब पीलेपन और मरीज़ की दिमाग़ी हालत बिगड़ने के बीच का अंतराल ७ दिन से ज़्यादा है
- जब मरीज़ की उम्र १० वर्ष से कम और ४० वर्ष से अधिक है
- जब तीव्र लिवर फ़ेल्यर के कारण का कोई पता नहीं है
- जब मरीज़ की किड्नी ख़राब हो रही हो
जिन मरीज़ों में तीव्र लिवर फ़ेल्यर के दौरान उपरोक्त में से कोई भी तीन या अधिक सूचक हैं उनकी दवाइयों से ठीक होने की संभावना १० प्रतिशत से भी कम है और उनको त्वरित लिवर प्रत्यारोपण (Emergency liver transplant) की आवश्यकता पड़ेगी। ये लिवर प्रत्यारोपण जल्द से जल्द (अधिमानतः १२-२४ घंटे में) करवाना होगा अन्यथा मरीज़ को जान का धोखा हो सकता है। ऐसे मरीज़ों का ब्रेन डेड/मेंदु मृत डोनर की प्रतीक्षा सूची में नाम लिखवाना और इंतज़ार करना सम्भव नहीं है। ऐसे पेशंट के लिए परिवार में कम्पैटिबल डोनर ढूँढकर लाइव लिवर प्रत्यारोपण करवाना एक बेहतर विकल्प है।