जीवित लिवर डोनेशन
अगर रोगी के अपने परिवार में कोई ब्लड ग्रूप कम्पैटिबल (मैचिंग) डोनर है तो उस डोनर के लिवर का एक हिस्सा निकाला जा सकता है और रोगी के शरीर में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इसके लिए रोगी को वेटिंग लिस्ट में नम्बर लगाने की ज़रूरत नहीं है और प्रत्यारोपण का ऑपरेशन जल्दी हो सकता है। जिन मरीज़ों की सरोसिस की बीमारी अग्रिम चरण में है या जिन्हें लिवर कैन्सर है उनके लिए लाइव लिवर डोनेशन सबसे अच्छा विकल्प है।
जीवित डोनर के लिवर का कितना प्रतिशत हिस्सा निकाला जाएगा ये पेशंट (रोगी) की बीमारी और उसके वज़न के ऊपर निर्भर करता है। वयस्क रोगियों के लिए लिवर का दायाँ हिस्सा निकाला जाता है जो की पूरे लिवर का ५०-६० प्रतिशत भाग होता है । बच्चों के शरीर ऐवम वज़न के अनुसार उनको पूरे लिवर की ज़रूरत नहीं होती और उनके लिए लिवर का छोटा टुकड़ा ही पर्याप्त होता है। उनके लिए लिवर का बायाँ भाग (Left lobe/ Left lateral lobe जो की पूरे लिवर का २०-३० प्रतिशत हिस्सा होता है) काम में आता है।
लाइव लिवर डोनेशन और प्रत्यारोपण लिवर की दो विशेषताओं पर निर्भर करता है :
- किसी भी व्यक्ति के शरीर का नॉर्मल कामकाज चलाने के लिए लिवर के सिर्फ़ २५-३० प्रतिशत फ़ंक्शन की आवश्यकता होती है ।
- एक नॉर्मल लिवर में पुनर्जीवित होने की क्षमता होती है। डोनर के लिवर का टुकड़ा निकालने और रेसिपीयंट में प्रत्यारोपित करने के १२ घंटों के अंदर ही ये पुनरुत्थान की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और काटे हुए लिवर के दोनों ही हिस्से अगले ६-८ हफ़्तों में बढ़ के ९०-१०० प्रतिशत हो जाते हैं।
उपरोक्त दोनों कारणों की वजह से ही किसी भी जीवित आदमी के लिवर का ५०-६० प्रतिशत हिस्सा निकाल कर पेशंट के शरीर में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। ऐसे समय में डोनर का बचा हुआ लिवर उसके शरीर में नॉर्मल कामकाज चालू रख सकता है। लिवर डोनेशन एक बहुत ही सुरक्षित ऑपरेशन है और इसमें डोनर को कोई ख़तरा नहीं है। कोई भी स्वस्थ आदमी या औरत लिवर डोनेशन कर सकते हैं।
हमारे देश में ८० प्रतिशत से ज़्यादा लिवर प्रत्यारोपण लाइव डोनर (जीवित व्यक्ति) से होते हैं । इसके विपरीत विदेशों में ९० प्रतिशत से ज़्यादा प्रत्यारोपण ब्रेन-डेड डोनर से किए जाते हैं। जीवित व्यक्ति से लिवर का एक हिस्सा निकाल के प्रत्यारोपित करना तकनीकी स्तर पर ज़्यादा मुश्किल ऑपरेशन है।
लाइव लिवर डोनर कौन हो सकता है ?
जीवित व्यक्ति को लिवर डोनेशन के लिए निम्न मानदंड पूरे करने होंगे:
- डोनर की उम्र १८ – ५५ साल के बीच में होनी चाहिए।
- डोनर का ब्लड ग्रूप मरीज़ के ब्लड ग्रूप से मैच होना चाहिए। O ग्रूप का कोई भी व्यक्ति यूनिवर्सल डोनर है और वो किसी भी मरीज़ को लिवर दे सकता है।
- मरीज़ के परिवार के सदस्य (जैसे पति, पत्नी, भाई, बहन, माँ, पिता, नाना, नानी, दादा, दादी) या पास के रिश्तेदार ( चाचा, मामा, भतीजा, भांजा) लिवर डोनर हो सकते हैं। मरीज़ के मित्र, पड़ोसी, ऑफ़िस का स्टाफ़, परिचित व्यक्ति, घर के नौकर – ऐसे लोगों को भारत सरकार द्वारा लाइव लिवर डोनेशन की अनुमति नहीं है।
- डोनर अत्यधिक मोटा ना हो और उसका लिवर स्वस्थ हो।
- लिवर डोनेशन करने के पीछे का उद्देश्य आर्थिक लाभ नहीं होना चाहिए। लिवर लेने या देने के लिए किसी भी तरह का पैसों का आदान-प्रदान क़ानूनन जुर्म है ।
- डोनर के लिवर का साइज़ इतना होना चाहिए की मरीज़ को लिवर का हिस्सा देने के बाद बचा हुआ लिवर डोनर के शरीर में सामान्य कामकाज करने के लिए काफ़ी हो। ये पता लगाने के लिए कुछ स्पेशल टेस्ट होते हैं जो ट्रांसप्लांट टीम डोनर को करने के लिए बताएगी।
- डोनर मानसिक रूप से स्वस्थ हो और लिवर डोनेशन का फ़ैसला, उसके परिणाम और उसकी जटिलताओं को समझ सके ।
कम्पैटिबल ( मैचिंग) ब्लड ग्रूप की जानकारी
पेशंट का ब्लड ग्रूप | A | B | AB | AB |
डोनर ब्लड ग्रूप | A या O | B या O | A, B, O या AB | O |
Rh factor (पॉज़िटिव / नेगेटिव) का लिवर डोनेशन में कोई महत्व नहीं है
लाइव लिवर डोनर की जाँच
लाइव लिवर डोनर की जाँच ४ चरणों में की जाती है और इसमें २-३ दिनों का समय लगता है। ये जाँचें ओपीडी से की जाती हैं और इनके लिए डोनर को हॉस्पिटल में भर्ती रहने की ज़रूरत नहीं है।
- पहला चरण : लिवर के टेस्ट, लिवर में चरबी की जाँच
- दूसरा चरण : लिवर का साइज़ और उसके अंदर ख़ून ले जाने वाली नसों और पित्त वसिका (बाइल की नलीयों) के बारे में CT scan / MRCP द्वारा तकनीकी जानकारी
- तीसरा चरण :डोनर के शरीर के अन्य अव्यवों की जाँच जैसे किड्नी, फुफ़्फ़ुस, दिल
- चौथा चरण : अन्य विशेषज्ञ सलाह
- अगर एक डोनर की पहले, दूसरे, या तीसरे चरण की जाँचें ठीक नहीं हैं तो उसे डोनेशन के लिए मना किया जा सकता है। ऐसा होने पर मरीज़ के परिवार को निराश होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि ये डोनर की सुरक्षा के दृष्टिकोण से किया जा रहा है।
- लाइव लिवर डोनर का मानसिक तौर पर स्वस्थ होना, ऑपरेशन की जटिलताओं को समझना और ऑपरेशन के बाद अपनी देखभाल कर पाने की क्षमता होना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए उसकी जाँच एक मनोचिकित्सक द्वारा करवाई जाएगी।
- ऑपरेशन के पहले डोनर और मरीज़ का रिश्ता साबित करने के लिए दोनो का जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic testing/ HLA typing) किया जा सकता है।
- किसी भी मरीज़ का लाइव लिवर प्रत्यारोपण होने के पहले अपने क्षेत्र की औथराईज़ेशन समिति (Regional authorisation Committee) से अनुमति लेना अनिवार्य है। ये समिति सरकार द्वारा गठित की जाती है। हमारे हॉस्पिटल का स्टाफ़, मरीज़ और उसके परिवार की इस समिति के सामने ऐप्लिकेशन दाख़िल करने, ज़रूरी काग़ज़ात बनाने और फ़ाइल बनाने में मदद करेगा। ये समिति डोनर और मरीज़ का इंटर्व्यू लेने और सारे काग़ज़ात देखने के बाद ट्रांसप्लांट करने या ना करने की अनुमति देगी और इस निर्णय को ट्रांसप्लांट टीम या हॉस्पिटल प्रभावित नहीं कर सकता है। औथराईज़ेशन समिति से अनुमति मिलने के बाद ही लिवर प्रत्यारोपण किया जा सकता है।