Skip to content

ऑपरेशन के बाद देखभाल और रिकवरी

डोनर :

ऑपरेशन ख़त्म होने के बाद डोनर को वेंटिलेटर से निकाल दिया जाता है और रात भर के लिए आइ सी यू (ICU) में शिफ़्ट किया जाता है। डोनर अगले दिन खाना शुरू कर देते हैं और १-२ दिन में चलना शुरू कर देते हैं। उन के पेट में डाली गयी नलियाँ, पेशाब की नली और ख़ून देने के लिए डाली गयी नलियाँ २-३ दिन में निकाल दी जाती हैं। ज़्यादातर डोनर बिना किसी परेशानी के अच्छे हो जाते हैं और ५-७ दिन में अपने घर चले जाते हैं। लिवर डोनर को भविष्य में किसी भी प्रकार की दवाइयों की आवश्यकता नहीं होती है।

रेसिपीयंट (लिवर रोगी) :

ऑपरेशन के अगले दिन मरीज़ को वेंटिलेटर से निकाला जाता है। सर्जरी के बाद के २-३ दिन क्रिटिकल हैं और रेसिपीयंट को किसी भी तरह के रक्त स्रवाह, इन्फ़ेक्शन या किसी अन्य जटिलता की निगरानी के लिए ICU में रखा जाता है। एक-एक कर पेट में डाली गयी नलियाँ, पेशाब की नली और ख़ून देने के लिए डाली गयी नलियाँ निकाली जाती हैं । अगले २-५ दिन में पहले तरल पेय, फिर पतला खाना और फिर पूरा खाना चालू किया जाता है। मरीज़ों को ज़रूरत के हिसाब से दर्द की दवा दी जाती है। ऑपरेशन के बाद incentive spirometry (फुफ़्फ़स का व्यायाम) की ज़रूरत होती है ताकि मरीज़ के फुफ़्फ़स (lungs) में कोई इन्फ़ेक्शन ना होये। ऑपरेशन के बाद व्यायाम (फिजिओथेरेपी) भी करना आवश्यक है ताकि हाथों और पैरों की सूजन कम हो सके और जल्द ही नॉर्मल काम शुरू हो पाए । मरीज़ को ३-५ दिन में आयसोलेशन रूम में शिफ़्ट कर दिया जाता है। आम-तौर पर हमारे मरीज़ १०-१२ दिन के अंदर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो जाते हैं।

पेशंट के परिजन और परिचितों को आइ सी यू (ICU) और आयसोलेशन रूम में जाने की अनुमति नहीं होती है। सिर्फ़ एकदम नज़दीक के रिश्तेदार ही विज़िटिंग समय के दौरान मरीज़ को बाहर से देख सकते हैं। ये इसलिए ज़रूरी है ताकि मरीज़ को कोई नया इन्फ़ेक्शन नहीं लग जाए। ट्रांसप्लांट टीम और हॉस्पिटल इस मामले में मरीज़ के परिजनो से सहयोग की उम्मीद रखते हैं।

डिस्चार्ज :

आम तौर पर मरीज़ १०-१२ दिन में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो जाता है । डिस्चार्ज के समय मरीज़ और उसके परिजनो को विस्त्रत में दवाइयों के बारे में बताया जाता है। डिस्चार्ज के बाद पेशंट को हर ५/७ दिन में टेस्ट करके ट्रांसप्लांट टीम को दिखाने होते हैं इसलिए कम से कम ४-६ हफ़्ते उन्हें हॉस्पिटल के आस-पास ही रहना चाहिए। जिस घर में पेशंट को ले जाया जाएगा वो जगह साफ़ सुथरी होनी चाहिए। डिस्चार्ज के बाद पेशंट को घर पर अपने वज़न, शुगर, ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट की जाँच करना और रिकोर्ड रखना होगा। इसके अलावा पेशंट की देखभाल, ड्रेसिंग बदलना और समय पर दवाइयाँ/ इंजेक्शन देने होते हैं; इसके लिए किसी नर्स को रखने की आवश्यकता हो सकती है।

प्रत्यारोपण के बाद की दिनचर्या

  • डिस्चार्ज के समय पेशंट नॉर्मल तरिके से चल सकता है और सीढ़ियाँ भी चढ़ सकता है ।
  • ऑपरेशन की जगह पर पेट में थोड़ा दर्द, कमज़ोरी या फूलापन महसूस करना शुरू के महीनों में आम बात है। लेकिन अगर आपको इससे ज़्यादा तकलीफ़ है या लगातार बढ़ रही है तो अपनी ट्रांसप्लांट टीम से तुरंत सम्पर्क करें।
  • ऑपरेशन के बाद इन्सेंटिव स्पाइरोमेटरी (फुफ़्फ़स / छाती का व्यायाम) करना ज़रूरी है । इस्से छाती का इन्फ़ेक्शन होने की सम्भावना कम हो जाती है।
  • ट्रांसप्लांट के बाद फिजीयोथेरेपी करना बहुत ज़रूरी है । इससे माँसपेशियों में ताक़त आती है और रक्त प्रवाह चालू रहता है । हाथ और पैरों की सूजन भी फ़िज़ीओथेरपी से हाई धीरे-धीरे जाएगी।
  • जब भी पेशंट थकान महसूस करता है तब उसे आराम करना चाहिए। हर दिन कम से कम ६-८ घंटे की नींद आवश्यक है।
  • ऑपरेशन के बाद कम से कम ३ महीने तक भारी वज़न जैसे पानी की बालटी, भारी फ़र्निचर, बर्तन, छोटे बच्चे उठाना वर्जित है क्योंकि इससे ऑपरेशन का घाव कमज़ोर हो जाता है और हर्निया होने की सम्भावना होती है।
  • तीन महीने बाद मरीज़ सभी प्रकार के शारीरिक व्यायाम जैसे जिम जाना, कसरत करना, वेट लिफ़्टिंग, तैराकी शुरू कर सकता है।

लिवर प्रत्यारोपण के बाद का फ़ॉलो-अप

पहले एक महीने में डोनर को हर ५-७ दिन में ट्रांसप्लांट टीम के पास चेक-अप करने के लिए आना पड़ता है, इसके बाद तीसरे महीने में एक बार और फिर एक साल के अंत में चेक-अप कराने की ज़रूरत होती है।

लिवर प्रत्यारोपण पेशंट ( रोगी) को सारी ज़िन्दगी फ़ॉलो-अप की ज़रूरत होती है। शुरुआत में ये फ़ॉलो-अप बार-बार करना पड़ेगा लेकिन बाद में ३-६ महीने में एक बार दिखाने की ज़रूरत होगी। एक बार ब्लड टेस्ट और दवाइयों का डोज निर्धारित होने के बाद रिपोर्ट्स ईमेल पर भी भेजी जा सकती हैं।